- गुरु कैसा होना?
गुरु केवल पढ़ाने वाला नहीं, बल्कि जीवन को सही दिशा देने वाला प्रकाशस्तंभ होता है।
एक सच्चे गुरु में कुछ विशेष गुण होने चाहिए—
- ज्ञानवान – शास्त्र, विद्या और व्यवहार का गहरा ज्ञान हो।
- अनुभवी – केवल किताबों से नहीं, अपने जीवन के अनुभव से भी मार्गदर्शन करे।
- निर्लोभी – शिष्य से धन, यश या स्वार्थ की अपेक्षा न रखे।
- धैर्यवान – शिष्य की गलतियों को सहकर उसे सही राह दिखाए।
- करुणामयी – शिष्य के दुख–सुख में सहभागी बने।
- आदर्श जीवन वाला – जैसा वह सिखाए, वैसा ही स्वयं आचरण करे।
- प्रेरणादायी – शिष्य के भीतर सुप्त क्षमता को जगाकर उसे ऊँचाई तक पहुँचाए।
- समदर्शी – सभी शिष्यों को समान भाव से देखे, किसी में पक्षपात न करे।
- सत्यप्रिय – सत्य के मार्ग पर अडिग रहकर शिष्य को भी वही राह दिखाए।
- आत्मज्ञान से युक्त – केवल बाहरी विद्या ही नहीं, भीतर की शांति और आत्मा का बोध भी दे सके।
संक्षेप में –
👉 गुरु वही है जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाए, शिष्य को केवल विद्वान ही नहीं बल्कि उत्तम इंसान बनाए।
No comments:
Post a Comment